टुनटुनी चिड़िया का जन्मदिन

सोहन नगर के जंगल में रामू कौवा अपनी पत्नी टूनी चिड़िया के साथ रहता था। वह मजदूरी करके घर का खर्च चलाया करता था। रामू की एक बेटी थी टुनटुनी।
टुनटुनी बहुत ही सुंदर थी। सभी उससे बहुत प्यार करते थे। टुनटुनी 2 साल की हो चुकी थी उसका जन्मदिन आने वाला था।
एक दिन टूनी अपने पति रामू कौवा से कहती है,”सुनते हो जी? अगले सप्ताह टुनटुनी का जन्मदिन है।
इस बार मैं अपनी बिटिया का जन्मदिन धूमधाम से मनाऊंगी और जंगल के सारे पक्षियों को बुलाऊंगी।”
तब रामू कौवा कहता है,”लेकिन टूनी, जन्मदिन मनाने में बहुत खर्च आएगा और हम गरीब हैं।
कहां से इतना खर्च करेंगे |” तब टूनी कहती है, “मैं कुछ नहीं जानती। कैसे भी करके मुझे अपनी बेटी का जन्मदिन मनाना है।” तभी वहां टुनटुनी आती है और अपनी मां से कहती है,”मम्मी, आप किसके जन्मदिन
के बारे में बातें कर रही हैं ?” तब टूनी उससे कहती है,”बिटिया, हम तेरे जन्मदिन के बारे में बातें कर रहे हैं। तेरा जन्मदिन अगले सप्ताह आने वाला है और मैं तेरा जन्मदिन धूमधाम से मनाऊंगी। तू अपनी सारी
सहेलियों को बुला लेना। तब टुनटुनी कहती है,” ठीक है मां। मैं अभी जाकर अपनी सारी सहेलियों को बता देती हूं कि मेरी मम्मी मेरा जन्मदिन मनाने वाली है।” तब टूनी उससे कहती है,”अरे रुक तो। तेरा
जन्मदिन अगले सप्ताह आने वाला है, बाद में अपनी सहेलियों को बता देना ।” लेकिन टुनटुनी कहां मानने वाली थी, वो अपनी सहेलियों को यह बात बताने के लिए चली जाती है।
टुनटुनी अपनी सहेलियों के पास जाकर कहती हैं,”अरे पिंकी, अगले सप्ताह मेरा जन्मदिन है; तू मेरे जन्मदिन पर जरूर आना मेरी मां बहुत बड़ा केक लाएगी।” तब पिंकी उससे कहती है,”अरे जा जा बड़ी आई
जन्मदिन मनाने वाली; तेरी मां तो गरीब है वो क्या तेरा जन्मदिन मनाएगी। तेरा मन रखने को बोल दिया होगा। तुझे पता भी है आज कल केक कितना महंगा मिलता है ? तेरे पापा की पूरे महीने की कमाई जन्मदिन
मनाने मे लग जाएगी; चली जा यहां से गरीब कहीं की।”
टुनटुनी रोती रोती अपनी मां के पास जाती है अपनी मां से कहती है,” माँ ,पिंकी ने मुझे गरीब कहा। वो मुझसे जलती है; उसने मुझसे बोला की तेरे मां-बाप गरीब हैं और वो तेरा जन्मदिन नहीं मना सकते।”
तब टुनी कहती है,”देख लिया जी? ये पक्षी हमारी गरीबी का कितना मजाक उड़ाते हैं। उनसे हमारी खुशियां देखी नहीं जाती । तुम ऐसा करो, सेठ के पास जाकर कुछ रुपए उधार लेकर आओ । हम आज से ही
टुनटुनी के जन्मदिन की तैयारियां शुरू कर देते हैं । तब उसका पति रामू कौवा कहता है,” ठीक है टूनी तुम इतना कह रही हो तो मैं जा रहा हूं और उधार लेकर आता हूं; लेकिन पैसे उधार लेकर जन्मदिन मनाना
अच्छी बात नहीं है। आखिर हमें कर्ज भी तो चुकाना पड़ेगा । कहां से हम उधार चुकाएंगे।” तब टूनी कहती है,”मैं कुछ नहीं जानती । मुझे तो किसी भी तरह से अपनी गुड़िया का जन्मदिन मनाना है।”
रामू कौवा सेठ के पास पैसे उधार मांगने के लिए जाता है और सेठ से कहता है,”सेठ जी, मुझे कुछ रुपए उधार चाहिए । मेरी बिटिया का जन्मदिन आने वाला है और मेरे पास पैसे नहीं है।”
तब सेठ कहता है,”देख रामू तेरे ऊपर मेरे बहुत सारे कर्ज पहले से हैं और मैं तुझे और कोई नया कर्ज नहीं दे सकता।” रामू दुखी होकर घर आ जाता है और घर आकर यह बात अपनी पत्नी को बताता है।
“टूनी, सेठ ने मुझे पैसे देने से मना कर दिया है; तुम टुनटुनी का जन्मदिन मनाने की जिद छोड़ दो।” तब टूनी कहती है,”नहीं जी, मैंने पूरे मोहल्ले में सभी को यह बात बता दी है अब अगर जन्मदिन नहीं मनाया तो
हमारी बहुत बदनामी होगी। मैंने अपने आंगन में जो कद्दू का पौधा लगाया था उस पर बड़े-बड़े कद्दू आ गए हैं। कल मैं उन कद्दूओं को बाजार में ले जाकर बेच दूंगी और उसे बेचकर जो पैसे
आएंगे उससे मैं टुनटुनी का जन्मदिन मनाऊंगी।”
अगले दिन टूनी अपने आंगन में लगे हुए सारे कद्दू तोड़कर बाजार में बेच देती है और टुनटुनी का जन्मदिन धूमधाम से मनाती है ।
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